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गुरु पूर्णिमा का नाम लेते हैं... पर क्या जानते हैं इसका मूल कारण? |
आज की पीढ़ी में बहुत लोग इसे सिर्फ अपने व्यक्तिगत गुरु या मेंटॉर की पूजा का दिन मानते हैं, लेकिन गुरु पूर्णिमा का वास्तविक महत्व इससे कहीं गहरा है। यह दिन समर्पित है भगवान वेदव्यास जी को, जिनका जन्म इसी दिन हुआ था।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?
गुरु पूर्णिमा वेदव्यास जयंती है। वेदव्यास जी ने न केवल चारों वेदों का विभाजन किया, बल्कि उन्होंने महाभारत, 18 पुराण, और कई अन्य ग्रंथों की रचना कर भारत की आध्यात्मिक विरासत को अमर कर दिया।
वेदव्यास जी को "आदि गुरु" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा को स्थापित किया और ज्ञान को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया।
वेदव्यास जी की महानता
- चारों वेदों का संकलन (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद)
- महाभारत की रचना – जिसमें भगवद्गीता भी सम्मिलित है
- पुराणों और ब्रह्मसूत्रों की रचना
- शिष्य परंपरा के माध्यम से ज्ञान का प्रसार
उनके बिना आज हमारे पास न तो वेद होते, न महाभारत, न ही गीता जैसा जीवन-दर्शन।
आज की गलतफहमी
आजकल लोग गुरु पूर्णिमा को सिर्फ अपने व्यक्तिगत गुरु या मोटिवेशनल स्पीकर को समर्पित करने लगे हैं। इसमें श्रद्धा है, परंतु यह भूलना नहीं चाहिए कि इस दिन की असली पूजा वेदव्यास जी के लिए है।
गुरु पूर्णिमा का मूल उद्देश्य है – वेदव्यास जी की जन्मतिथि पर उन्हें श्रद्धा से नमन करना।
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएं?
वेदव्यास जी के जीवन और कार्यों का अध्ययन करें
अपने बच्चों व छात्रों को इस पर्व का ऐतिहासिक महत्व समझाएं
वेद या महाभारत से श्लोकों का पाठ करें
आध्यात्मिक सत्संग या व्याख्यानों में भाग लें
गुरु पूर्णिमा कोई नया पर्व नहीं है। यह हजारों वर्षों पुरानी परंपरा है जो हमें हमारी संस्कृति और धर्म से जोड़ती है।
आइए इस वर्ष सिर्फ फोटो शेयर करने से आगे बढ़ें और गुरु पूर्णिमा के पीछे की सच्ची भावना को समझें और प्रचारित करें।
"गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश देता है।"
इस गुरु पूर्णिमा पर, चलिए गुरुओं के गुरु – भगवान वेदव्यास जी को नमन करें।
शुभ गुरु पूर्णिमा!
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